Friday 27 March 2015

स्वाइन फ्लू से घरेलु और आयुर्वेद बचाव और इसका इलाज............


क्या है स्वाइन फ्लू 
स्वाइन फ्लू श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है, जो टाइप के इनफ्लुएंजा वायरस से होती है। यह वायरस एच1 एन1 के नाम से जाना जाता है और मौसमी फ्लू में भी यह वायरस सक्रिय होता है। 2009 में जो स्वाइन फ्लू हुआ था, उसके मुकाबले इस बार का स्वाइन फ्लू कम पावरफुल है, हालांकि उसके वायरस ने इस बार स्ट्रेन बदल लिया है यानी पिछली बार के वायरस से इस बार का वायरस अलग है।

कैसे फैलता है
जब आप खांसते या छींकते हैं तो हवा में या जमीन पर या जिस भी सतह पर थूक या मुंह और नाक से निकले द्रव कण गिरते हैं, वह वायरस की चपेट में जाता है। यह कण हवा के द्वारा या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए भी यह वायरस फैल सकते हैं, अगर इन चीजों का इस्तेमाल किसी संक्रमित व्यक्ति ने किया हो।

शुरुआती लक्षण
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नाक का लगातार बहना, छींक आना, नाक जाम होना।
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मांसपेशियां में दर्द या अकड़न महसूस करना।
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सिर में भयानक दर्द।
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कफ और कोल्ड, लगातार खांसी आना।
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उनींदे रहना, बहुत ज्यादा थकान महसूस होना।
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बुखार होना, दवा खाने के बाद भी बुखार का लगातार बढ़ना।
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गले में खराश होना और इसका लगातार बढ़ते जाना।
कब तक रहता है वायरस
एच1एन1 वायरस स्टील, प्लास्टिक में 24 से 48 घंटे, कपड़े और पेपर में 8 से 12 घंटे, टिश्यू पेपर में 15 मिनट और हाथों में 30 मिनट तक एक्टिव रहते हैं। इन्हें खत्म करने के लिए डिटर्जेंट, एल्कॉहॉल, ब्लीच या साबुन का इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी भी मरीज में बीमारी के लक्षण इन्फेक्शन के बाद 1 से 7 दिन में डिवेलप हो सकते हैं। लक्षण दिखने के 24 घंटे पहले और 8 दिन बाद तक किसी और में वायरस के ट्रांसमिशन का खतरा रहता है।

चिंता की बात
इस बीमारी से लड़ने के लिए सबसे जरूरी है दिमाग से डर को निकालना। ज्यादातर मामलों में वायरस के लक्षण कमजोर ही दिखते हैं। जिन लोगों को स्वाइन फ्लू हो भी जाता है, वे इलाज के जरिए सात दिन में ठीक हो जाते हैं। कुछ लोगों को तो अस्पताल में एडमिट भी नहीं होना पड़ता और घर पर ही सामान्य बुखार की दवा और आराम से ठीक हो जाते हैं। कई बार तो यह ठीक भी हो जाता है और मरीज को पता भी नहीं चलता कि उसे स्वाइन फ्लू था। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट बताती है कि जिन लोगों का स्वाइन फ्लू टेस्ट पॉजिटिव आता है, उनमें से इलाज के दौरान मरने वालों की संफ्या केवल 0.4 फीसदी ही है। यानी एक हजार लोगों में चार लोग। इनमें भी ज्यादातर केस ऐसे होते हैं, जिनमें पेशंट पहले से ही हार्ट या किसी दूसरी बीमारी की गिरफ्त में होते हैं या फिर उन्हें बहुत देर से इलाज के लिए लाया गया होता है।


स्वाइन फ्लू से बचाव और इसका इलाज
स्वाइन फ्लू हो, इसके लिए क्या करें?
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साफ-सफाई का ध्यान रखा जाए और फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी के फैलने के चांस के बराबर हो जाते हैं।
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जब भी खांसी या छींक आए रूमाल या टिश्यू पेपर यूज करें।
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इस्तेमाल किए मास्क या टिश्यू पेपर को ढक्कन वाले डस्टबिन में फेंकें।
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थोड़ी-थोड़ी देर में हाथ को साबुन और पानी से धोते रहें।
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लोगों से मिलने पर हाथ मिलाने, गले लगने या चूमने से बचें।
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फ्लू के शुरुआती लक्षण दिखते ही अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
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अगर फ्लू के लक्षण नजर आते हैं तो दूसरों से 1 मीटर की दूरी पर रहें।
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फ्लू के लक्षण दिखने पर घर पर रहें। ऑफिस, बाजार, स्कूल जाएं।
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बिना धुले हाथों से आंख, नाक या मुंह छूने से परहेज करें।

आयुर्वेद


ऐसे करें बचाव
इनमें से एक समय में एक ही उपाय आजमाएं।
- 4-5
तुलसी के पत्ते, 5 ग्राम अदरक, चुटकी भर काली मिर्च पाउडर और इतनी ही हल्दी को एक कप पानी या चाय में उबालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।
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गिलोय (अमृता) बेल की डंडी को पानी में उबाल या छानकर पिएं।
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गिलोय सत्व दो रत्ती यानी चौथाई ग्राम पौना गिलास पानी के साथ लें।
- 5-6
पत्ते तुलसी और काली मिर्च के 2-3 दाने पीसकर चाय में डालकर दिन में दो-तीन बार पिएं।
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आधा चम्मच हल्दी पौना गिलास दूध में उबालकर पिएं। आधा चम्मच हल्दी गरम पानी या शहद में मिलाकर भी लिया जा सकता है।
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आधा चम्मच आंवला पाउडर को आधा कप पानी में मिलाकर दिन में दो बार पिएं। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

स्वाइन फ्लू होने पर क्या करें
यदि स्वाइन फ्लू हो ही जाए तो वैद्य की राय से इनमें से कोई एक उपाय करें:
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त्रिभुवन कीर्ति रस या गोदंती रस या संजीवनी वटी या भूमि आंवला लें। यह सभी एंटी-वायरल हैं।
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साधारण बुखार होने पर अग्निकुमार रस की दो गोली दिन में तीन बार खाने के बाद लें।
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बिल्वादि टैब्लेट दो गोली दिन में तीन बार खाने के बाद लें।


स्वाइन फ्लू होने पर क्या है इलाज
1:
बीमारी के शुरुआती दौर के लिए
जब खांसी-जुकाम हल्का बुखार महसूस हो रहा हो तब इनमें से कोई एक दवा डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं:
एकोनाइट (Aconite 30), बेलेडोना (Belladona 30), ब्रायोनिया (Bryonia 30), हर्परसल्फर (Hepursuphur 30), रसटॉक्स (Rhus Tox 30), चार-पांच बूंदें, दिन में तीन से चार बार।
2:
अगर फ्लू के मरीज को उलटियां रही हों और डायरिया भी हो तो नक्स वोमिका (Nux Vomica 30), पल्सेटिला (Pulsatilla 30), इपिकॉक (Ipecac-30) की चार-पांच बूंदें, दिन में तीन से चार बार ले सकते हैं।
3:
जब मरीज को सांस की तकलीफ ज्यादा हो और फ्लू के दूसरे लक्षण भी बढ़ रहे हों तो इसे फ्लू की एडवांस्ड स्टेज कहते हैं। इसके लिए आर्सेनिक एल्बम (Arsenic Album 30) की चार-पांच बूंदें, दिन में तीन-चार बार लें। यह दवा अस्पताल में भर्ती ऐलोपैथिक दवा ले रहे मरीज को भी दे सकते हैं।


डाइट
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घर का ताजा बना खाना खाएं। पानी ज्यादा पिएं।
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ताजे फल, हरी सब्जियां खाएं।
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मौसमी, संतरा, आलूबुखारा, गोल्डन सेव, तरबूज और अनार अच्छे हैं।
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सभी तरह की दालें खाई जा सकती हैं।
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नींबू-पानी, सोडा शर्बत, दूध, चाय, सभी फलों के जूस, मट्ठा लस्सी भी ले सकते हैं।
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बासी खाना और काफी दिनों से फ्रिज में रखी चीजें खाएं। बाहर के खाने से बचें।

मास्क की बात

पहने मास्क
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मास्क पहनने की जरूरत सिर्फ उन्हें है, जिनमें फ्लू के लक्षण दिखाई दे रहे हों।
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फ्लू के मरीजों या संदिग्ध मरीजों के संपर्क में आने वाले लोगों को ही मास्क पहनने की सलाह दी जाती है।
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भीड़ भरी जगहों मसलन, सिनेमा हॉल या बाजार जाने से पहले सावधानी के लिए मास्क पहन सकते हैं।
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मरीजों की देखभाल करने वाले डॉक्टर, नर्स और हॉस्पिटल में काम करने वाला दूसरा स्टाफ।
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एयरकंडीशंड ट्रेनों या बसों में सफर करने वाले लोगों को ऐहतियातन मास्क पहन लेना चाहिए।




ध्यान रखें 
- जब तक आपके आस-पास कोई मरीज या संदिग्ध मरीज नहीं है, तब तक मास्क लगाएं।
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अगर मास्क को सही तरीके से नष्ट किया जाए या उसका इस्तेमाल एक से ज्यादा बार किया जाए तो स्वाइन फ्लू फैलने का खतरा और ज्यादा होता है।
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खांसी या जुकाम होने पर मास्क जरूर पहनें।
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मास्क को बहुत ज्यादा टाइट पहनने से यह थूक के कारण गीला हो सकता है।
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अगर यात्रा के दौरान लोग मास्क पहनना चाहें तो यह सुनिश्चित कर लें कि मास्क एकदम सूखा हो। अपने मास्क को बैग में रखें और अधिकतम चार बार यूज करने के बाद इसे बदल दें।

और पढ़े। ………। 

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