बिना जाने पहचाने दवा नहीं खाना चाहिए जानिए क्यों। ……
१. हर दवा का रिएक्शन होता है। अतः जब तक निहायत जरूरी न हो तब तक कोई दवा नहीं खाना चाहिए। कोई एक दवा हर रोग के लिए रामबाण नहीं हो सकती।
२. एंटीबायोटिक दवाएं शरीर में मौजूद रोगाणुओं को तो मारती ही हैं, जरूरी बैक्टेरिया को भी मार देती हैं।
३. इंसान की बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सक नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। दवाओं का प्रयोग बीमारी के इलाज में अहमियत रखता है।
४. सही समय पर सही दवा उचित मात्रा में प्राण-रक्षक होती है, वहीं दुरुपयोग नुकसान के साथ नई बीमारी को भी जन्म दे सकता है।
५. नित्य नई दवाएं बाजार में अनुसंधान के पश्चात आ रही हैं। चिकित्सक यह भी समझते हैं कि कुछ दवाओं का रिएक्शन या असर मरीज की बीमारी के इतिहास पर भी निर्भर करता है।
६. कुछ दवाएं जो जीवाणुओं (बैक्टीरिया) को मारने के लिए प्रयुक्त होती हैं, वे बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं के साथ-साथ हमारे लिए जरूरी जीवाणुओं को भी नष्ट कर देती हैं। ऐसे में तर्कसंगत एंटीबायोटिक्स का प्रयोग बहुत जरूरी है।
७. रोगाणु जब हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो हमारा प्रतिरोधक तंत्र सक्रिय हो जाता है और एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है। शरीर और जीवाणुओं में जंग शुरू हो जाती है। जो ताकतवर होता है वह दूसरे को हटा देता है। रोगों से लड़ने की शक्ति कम होने के कारण हम बीमार पड़ते हैं।
८. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का एक उपाय टीकाकरण है। एक कृत्रिम उपाय है- प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति। यदि हम जीवाणुओं को तुरंत मार देते हैं तो प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता कम विकसित होती है।
९. दवाइयां कुछ मरीजों में असर करती हैं तथा दूसरों में फायदे की बजाय नुकसान यानी रिएक्शन भी करती हैं।
१०. आज से 40 वर्ष पहले अध्ययन की गई प्रक्रिया को आज हम समझ पा रहे हैं। प्रत्येक मनुष्य में जीन्स का एक तरह का लेखा होता है, जो माता-पिता से भी भिन्न हो सकता है। इसके चलते दवा का प्रभाव प्रत्येक बच्चे में भिन्न हो सकता है।
११. हमें नई दवाएं बनाने की आवश्यकता कम पड़ेगी, इसे व्यक्तिगत औषधि भी कहते हैं। अतः औषधि के तर्कसंगत सदुपयोग से हम काफी नुकसान से बच सकते हैं।
इसलिए घरेलु और आयुर्वेदिक दवा अपनाये और सभी बीमारियो से दूर रहे। साइड इफ़ेक्ट से भी बचे आपने आप को और अपने परिवार को सवस्थ रखे।
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१. हर दवा का रिएक्शन होता है। अतः जब तक निहायत जरूरी न हो तब तक कोई दवा नहीं खाना चाहिए। कोई एक दवा हर रोग के लिए रामबाण नहीं हो सकती।
२. एंटीबायोटिक दवाएं शरीर में मौजूद रोगाणुओं को तो मारती ही हैं, जरूरी बैक्टेरिया को भी मार देती हैं।
३. इंसान की बीमारियों के इलाज के लिए चिकित्सक नई तकनीकों का उपयोग कर रहे हैं। दवाओं का प्रयोग बीमारी के इलाज में अहमियत रखता है।
४. सही समय पर सही दवा उचित मात्रा में प्राण-रक्षक होती है, वहीं दुरुपयोग नुकसान के साथ नई बीमारी को भी जन्म दे सकता है।
५. नित्य नई दवाएं बाजार में अनुसंधान के पश्चात आ रही हैं। चिकित्सक यह भी समझते हैं कि कुछ दवाओं का रिएक्शन या असर मरीज की बीमारी के इतिहास पर भी निर्भर करता है।
६. कुछ दवाएं जो जीवाणुओं (बैक्टीरिया) को मारने के लिए प्रयुक्त होती हैं, वे बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं के साथ-साथ हमारे लिए जरूरी जीवाणुओं को भी नष्ट कर देती हैं। ऐसे में तर्कसंगत एंटीबायोटिक्स का प्रयोग बहुत जरूरी है।
७. रोगाणु जब हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तो हमारा प्रतिरोधक तंत्र सक्रिय हो जाता है और एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देता है। शरीर और जीवाणुओं में जंग शुरू हो जाती है। जो ताकतवर होता है वह दूसरे को हटा देता है। रोगों से लड़ने की शक्ति कम होने के कारण हम बीमार पड़ते हैं।
८. रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का एक उपाय टीकाकरण है। एक कृत्रिम उपाय है- प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक शक्ति। यदि हम जीवाणुओं को तुरंत मार देते हैं तो प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक क्षमता कम विकसित होती है।
९. दवाइयां कुछ मरीजों में असर करती हैं तथा दूसरों में फायदे की बजाय नुकसान यानी रिएक्शन भी करती हैं।
१०. आज से 40 वर्ष पहले अध्ययन की गई प्रक्रिया को आज हम समझ पा रहे हैं। प्रत्येक मनुष्य में जीन्स का एक तरह का लेखा होता है, जो माता-पिता से भी भिन्न हो सकता है। इसके चलते दवा का प्रभाव प्रत्येक बच्चे में भिन्न हो सकता है।
११. हमें नई दवाएं बनाने की आवश्यकता कम पड़ेगी, इसे व्यक्तिगत औषधि भी कहते हैं। अतः औषधि के तर्कसंगत सदुपयोग से हम काफी नुकसान से बच सकते हैं।
इसलिए घरेलु और आयुर्वेदिक दवा अपनाये और सभी बीमारियो से दूर रहे। साइड इफ़ेक्ट से भी बचे आपने आप को और अपने परिवार को सवस्थ रखे।
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